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Kayakalp
Spar

Kayakalp

पढ़ लिख कर पैसा कमाना चक्रधर के जीवन का उद्देश्य न था। आदर्शों की स्थापना की चाह में ही वह दीवान साहब की सुंबरी कन्या मनोरमा के मन की बात जान कर भी उदासीन बने रहे और अनाथ अहल्या को अपना जीवनसाथी बना लिया। यही अहल्या जब जगदीशपुर के राजा साहब की पुत्री निकली तब भी धन और राज्य का लोभ चक्रघर को क्या बांध पाया? मनोरमा चक्रधर को भूल पाई? जीवनपथ पर चलते हुए चक्रधर अहल्या और मनोरमा की क्या परिणति हुई? पिता चक्रधर की खोज में भटकता उनका पुत्र क्या अपने पिता को पा सका? इन्हीं सवालों का जवाब है उपन्यास सम्राट प्रेमचंद का आत्मसुधारवादी उपन्यास 'कायाकल्प'। कायाकल्प प्रेमचंद के पूर्वलिखित उपन्यासों से भिन्न आध्यात्मिक पृष्ठभूमि पर लिखा गया उपन्यास है। पूर्वजन्म और भावी जन्म के कल्पनात्मक चित्र इस कृति में कर्म और संस्कारों के आधार पर प्रस्तुत किये गए हैं। इसमें वासना और प्रेम का संघर्ष आध्यात्मिक फलक पर चित्रित किया गया है और अंत में प्रेम द्वारा ही मानसिक शांति का लोक-प्रचलित आदर्श मार्ग बताया गया है। अतिशय चमत्कारिकता होने के कारण यह उपन्यास अन्य उपन्यासों की भाव गरिमा को छू नहीं सका है।
ISBN
9789356824041
Språk
Hindi
Vekt
310 gram
Utgivelsesdato
8.8.2023
Antall sider
370