Gå direkte til innholdet
Hari Anant- Hari Katha Ananta - Part - 4 ('हरि अनन्त- हरि कथा &#23
Spar

Hari Anant- Hari Katha Ananta - Part - 4 ('हरि अनन्त- हरि कथा 

भीनी भीनी गंध जिस बात की वर्षों पूर्व उठनी प्रारंभ हो चुकी थी- वह तथ्य अब उजागर हो गया है। मैं आज के प्रत्येक क्षण को आने वाले कल के लिये उपयोग कर रहा हूँ। मेरी मुट्ठी की प्रत्येक ईंट भविष्य के महल के निर्माण में लग रही है।
आज मैं पूर्ण निरहंकारिता के साथ यह बात कह सकता हूँ कि विधि के हाथों जैसे आज की कहानी कल लिखी जा चुकी थी आज वह प्रकट हुई या हो रही है, वैसे ही आने वाले कल की कहानी भी लिखी जा चुकी है। मैं स्पष्ट रूप से देख रहा हूँ कि उस विराट खेल में मेरी क्या स्थिति है। मेरी भूमिका अब एकदम स्पष्ट हो गई है। विधि के हाथों मेरा भविष्य लिखा जा चुका है। और मैं यह देखकर चकित हूँ कि अकथनीय और अकल्पनीय होने को है। मैं अपने सौभाग्य को देखकर स्तंभित हूँ। मुझ पर सद्गुरु सत्ता की महती कृपा का जो यह परिणाम है वह मुझे परमात्मा के श्री चरणों में समर्पित हो जाने के लिये प्रेरित कर रहा है- मैं समर्पित हो चुका हूँ। श्री भगवान अपनी संपूर्ण शक्ति के साथ मुझ पर प्रसन्न हैं। भगवती मेरे प्रति अनंत वात्सल्य से आपूरित हैं। अस्तित्व अपने अनंत अनंत हाथों से मेरे ऊपर आशीष वर्षा कर रहा है। मुझे भीतर बाहर से वासुदेव श्री विष्णु ने घेर लिया है। संपूर्ण संत परंपरा मेरे प्रति अपने पवित्र प्रेम की धारा को मोड़ चुकी है। युगो युगो से साधुजनों के स्नेह से मुझे नहलाया जा रहा है।
यह सब देख देख कर मैं परमात्मा सतगुरु सत्ता को स्मरण कर कर के कृत कृत हो रहा हूँ। मैं परम आनंद में हूँ, मैं विह्वल हूँ, मैं और वह एक दूसरे में समा गये हैं- मैं क्या-क्या कहूं- कैसे व्यक्त करूं, कितना कहूं- मैं कह नहीं सकता। सोचता हूँ- इसे रहस्य ही रहने दूं फिर सोचता हूँ- नहीं कह दूं।
ISBN
9789354869464
Språk
Hindi
Vekt
399 gram
Utgivelsesdato
1.2.2022
Antall sider
314