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Mashhoor Shayaron kee Pratinidhi Shayari Mirza Ghalib
Tallenna

Mashhoor Shayaron kee Pratinidhi Shayari Mirza Ghalib

Kirjailija:
pokkari, 2022
Hindi
"ये हम जो हिज में दीवारो पर को देखते कभी सबा को, कमी नामाबर को देखते हैं. वो आए घर में हमारे खुदा की कुदरत हैं कभी हम उनको कभी अपने घर को देखते हैं. जब बात उर्दू अदब की हो और ज़िक गालिब का ना हो तो बेईमानी है । अदब की दुनिया में जहाँ शेक्सपीयर, मिल्टन, टैगोर, तुलसीदास का जो मुकाम है, गालिब भी वहीं नुमाया हैं। जिन्दगी के इकहत्तर साल के लम्बे सफर में गालिब ने उर्दू और फारसी की बेइंतहा खिदमत कर खूब शोहरत कमाया। अपनी तेजधार कलम की बदौलत उन्होंने उर्दू शायरी को नया मुकाम नयी जिन्दगी और खानी दी। उनकी दीवान विश्व - साहित्य के लिए अनमोल धरोहर है। उर्दू अदब में भले ही अनेकों शायर हुए हों मगर ग़ालिब के कलाम, पढ़ने व सुनने वालों के दिलों की कैफियत बदल देती है। ग़ालिब के कलाम आज भी गंगा की खानी की तरह लोगों के जेहन व जुबान पर कल-कल करती हुई बह रहे हैं तथा हमेशा लोगों के मस्तिष्क पटल पर ज़िन्दा रहेंगी। -इसी किताब से
Kirjailija
Mirza Ghalib
ISBN
9789395242899
Kieli
Hindi
Paino
141 grammaa
Julkaisupäivä
7.10.2022
Sivumäärä
138