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Hari Anant Hari Katha Ananta Bhag-2 (हरी अनन्त हरी कथा अ&#23
Tallenna

Hari Anant Hari Katha Ananta Bhag-2 (हरी अनन्त हरी कथा अ

मैं अपने सद्गुरु के हाथों ऐसे ही गढ़ा जा रहा हूँ। वे मुझे तैयार कर रहे हैं। मैं देख रहा हूँ इस बात को। तब से आज तक वही तैयारी चल रही है। जब तक गुरु चाहेंगे, यह शरीर टिका रहेगा। जिस क्षण वे देखेंगे कि इस देह का काम पूरा हो गया वे इसमें से निकाल कर पुनः किसी अन्य देह का आलंबन प्रदान कर देंगे। लेकिन तब वह किसी अभाव के कारण उत्पन्न बेचैनी का जीवन नहीं होगा बल्कि उपलब्धि के कारण उत्पन्न करूणा का जीवन होगा। अभी इस देह से मुझे कुछ नहीं करना है जो करना था वह हो चुका है। इसीलिये कहता हूँ अब जो आगे चल रहा है वह मेरा पूर्वजन्म नहीं पुनर्जन्म है। मैं रोज-रोज क्षण-प्रतिक्षण नया और नया हो रहा हूँ। सभी अनुभूतियाँ और सारे अनुभव एक ही लक्ष्य की ओर ले जा रहे हैं कि करूणा की वृत्ति ही एकमात्र आलंबन कैसे बन जाये और सब वृत्तियों का सहयोग एकमात्र करूणा की पुष्टि कैसे बन जाये यही लक्ष्य है।
ISBN
9789354866401
Kieli
Hindi
Paino
499 grammaa
Julkaisupäivä
1.11.2021
Sivumäärä
394