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Darakte Himalaya Par Dar-Ba-Dar
Spara

Darakte Himalaya Par Dar-Ba-Dar

Författare:
inbunden, 2018
Hindi
अजय सोडानी की किताब 'दरकते हिमालय पर दर-ब-दर' इस अर्थ में अनूठीहै कि यह दुर्गम हिमालय का सिर्फ एक यात्रा-वृत्तान्त भर नहीं है, बल्कि यह जीवन-मृत्यु के बड़े सवालों से जूझते हुए एक ऐतिहासिक यात्रा भी है। पुस्तक पढ़तेहुए बार-बार लेखक और उनकी सहधर्मिणी अपर्णा के जीवट और साहस पर आश्चर्य होता है। अव्वल तो मानसून के मौसम में कोई सामान्य पर्यटक इन दुर्गम स्थलों की यात्रा करता नहीं, करता भी है तो उसके बचने की सम्भावना कम ही होती है। ऐसे मौसम में खुद पहाड़ी लोग भी इन स्थानों को छोड़ देते हैं। लेकिन वह यात्रा भी क्या जिसमें जोखिम न हो। इस लिहाज़ से 'दरकते हिमालय पर दर-ब-दर' अनूठी कृति बन पड़ी है जिसकी भाषा में अपनी रवानी है। इस भाषा में सिर्फ बाहर की यात्रा का ही वर्णन नहीं है, बल्कि एक यात्रा लेखक के भीतर भी चल रही है।लेखक और उनकी पत्नी के साथ चार-पाँच सहयोगी भी हैं जो इस दुर्गम यात्रा पर अक्सर जाते रहे हैं, लेकिन इस मौसम में उनका भी यह पहला अनुभव है। इस अनुभवहीनता के कारण कई ऐसे खतरनाक पड़ाव आते हैं जहाँ किसी की भी जान जा सकती है। भूकम्प आता है और ग्लेशियर दरक उठते हैं। कई बार तो स्थानीय सहयोगी भी हताश हो जाते हैं और इसके लिए लेखक की नास्तिकता को दोष देते हैं। यह एक ऐसी यात्रा है जो स्थानीय जन-जीवन के कई दुर्लभ चित्र तो देती ही है, हज़ारों फीट ऊँचाई पर खिलने वाले ब्रह्मकमल, नीलकमल औरफेनकमल के भी साक्षात् दर्शन करा देती है। लेखक बार-बार इतिहास में जाता है औरपांडवों के स्वर्गारोहण के मार्ग के चिह्न खोजता फिरता है। पांडवों का हीनहीं, कौरवों का भी इतिहास इससे जुड़ा है। इस सम्बन्ध में लेखक का अपनादृष्टिकोण है। वह महाभारत को इतिहास नहीं मानता लेकिन यह भी नहीं मान पाता कि उसमें सब कुछ कपोल कल्पना है। इस अर्थ में यह इतिहास की भी एक यात्रा है। ब्रह्मकमल
Författare
Ajoy Sodani
ISBN
9789387462021
Språk
Hindi
Vikt
4 gram
Utgivningsdatum
2018-01-01
Sidor
220