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Skönlitteratur
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जब दिल ही बनाया था, गम काहे बना डाला, 'लखनवी ' क्या एक था न काफी, जो दूजा भी बना डाला, कुछ पाने निजाद-ए-गम जाते हैं इबादत को, कोई जाता है मयखाने में, गम अपने भुलाने को, दोनों का ही …
About the Book"चल मुसाफिर चल" कविताओं का एक ऐसा मनोरम संग्रह है जो पाठकों को शब्दों के माध्यम से एक आत्म-रोमांचक यात्रा पर ले जाता है। जीवन एक यात्रा की तरह है जिसमें कई तरह के …
जिस पुस्तक के आधार पर यह पुस्तक लिखी गई है, उनका नाम है Plain Living and High Thinking और वह अंग्रेजी की उन पुस्तकों में से है जिनका उद्देश्य युवा पुरुषों के अन्तःकरण में उत्तम …
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संग्रह की ग्यारह कहानियों को दो दिन में पढ़ गया हूं। रुचिकर न लगने पर इतना पढ़ा जाना सहज नहीं होता । 'अंतत ' तो अच्छी लगी ही 'स्वभाव', 'अभाव', 'नयी बात', 'बूंद पानी' और 'किसी एक …
यह पुस्तक डॉ कुंतल गोयल की तीन कहानी संग्रहों का पुनर्प्रकाशन है, जिसमें उन्होंने 60-70 के दशक में पारिवारिक और सामाजिक विषयों पर कहानियाँ लिखीं हैं। इन कहानियों में नारी विमर्श और …