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Litteraturvetenskap: skönlitteratur, roman- & prosaförfattare
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यों तो कथावाचन-प्रवणता भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है, परंतु यथार्थपरक पाश्चात्य कथाशिल्प का गहन प्रभाव आधुनिक भारतीय साहित्य पर पड़ा है। एक ओर जहाँ कथा सरित्सागर, पंचतंत्र …
जब अँधेरा दूर होता है, तब अंजोरा होता है। जब आँखों को दिखना शुरू होता है, तब अंजोरा होता है।
मोनिका तभी कलम चलाती हैं, जब कोई घटना या पात्र उन्हें बेचैनी की सीमा तक परेशान कर देता है। उनके लिए कहानी महज शब्दों की नुमाइश या आतिशबाजी नहीं, बल्कि सामाजिक सरोकारों का यथार्थ …
डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल जन्म सन् 1904। शिक्षा सन् 1929 में लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.ए.; तदनंतर सन् 1940 तक मथुरा के पुरातत्त्व संग्रहालय के अध्यक्ष पद पर रहे। सन् 1941 में पी-एच.डी. …
"लफ्ज़ आईना, लहजा नश्तर और लिखाई इंद्रधनुष जैसी। यह परिचय है देवांशु की कविताओं का। कहीं से शुरू कीजिए ज़िंदगी की पुस्तक का कोई-न-कोई पन्ना खुल ही जाता है। आसान नहीं होता एक ही कलम …
काका हाथरसी हास्यरस के सच्चे कवि ही नहीं, काव्य-ऋषि थे। उनकी कविताओं के तीन रंग हैं-सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक। इन तीनों रंगों में काका हाथरसी ने कभी साहित्यिक शालीनता और …