संविधान असल में देश का सर्वोच्च विधान है। व्यक्तिगत तौर पर, मैं यह मानता हूँ कि अधिकारों और कर्तव्यों के संतुलन का यह ऐसा पवित्र दस्तावेज है, जिससे लोकतंत्र प्रभावी रूप में जीवंत …